द एडिटर ब्युरो, मेलबर्न -भारतीय कोरोना की गाज ऑस्ट्रेलिया में रह रहे आशीष कुमार और उनके परिवार पर गिरी है। आशीष, उनकी पत्नी और दो बेटियों को मेलबर्न इंटरनेशनल एयरपोर्ट से वापिस घर भेज दिया गया। यह परिवार भारत में अपने हैदराबाद स्तिथ घर जाने के लिए निकला था, पिता की बीमारी की वजह से आशीष हमेशा के लिए ऑस्ट्रेलिया छोड़ भारत आने के लिए मेलबर्न एयरपोर्ट शुक्रवार को पहुंचे थे, रात नौ बजे की फलाइट थी। आशीष ने अपना घर, गाड़ी, सामान सब बेच दिया है, यहां तक मैनेजर की नौकरी तक छोड़ दी थी लेकिन जैसे ही चेक इन करने लगे तब एयरलाइन स्टाफ ने आशीष को बता दिया कि उनके पास उनकी और उनके परिवार के बारे कोई जानकारी नही है। लिहाजा वह फलाइट नही ले सकते, आशीष ने लगभग ढाई लाख रुपये में टिकेट ली थी लेकिन शुक्रवार को ही लागू हुए सरकारी नियम ने आशीष और उनके परिवार को कहीं का नही छोड़ा। दरअसल पिछले साल मार्च से ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने अपने नागरिकों और परमंनेट रेसिडेंट्स के अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं पर पाबंदी लगा दी थी, मकसद था विदेश से आने वाले कोरोना वायरस को रोकना, इस बीच कुछ खास परिस्थितियों में विदेश जाने के लिए कुछ नियम बनाए गए, अब तक ऑस्ट्रेलियाई नागरिक या परमांनेट रेसीडेंट फैमिली इमरजेंसी में ही ऑस्ट्रेलिया छोड़ विदेश जा सकते थे, इसके लिए एप्लीकेशन देनी पड़ती थी इसके बाद होम डिपार्टमेंट अनुमति प्रदान करता था। लेकिन भारत में अचानक कोरोना के मामले बढ़ते ही ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने यह नियम बदल डाले, प्रधानमंत्री स्कोट मोरिसन ने वीरवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह ऐलान किया कि भारत से आने वाली सीमित फलाइट्स को 30 प्रतिशत तक घटाया जाएगा, साथ ही महज इतना कहा कि ऑस्ट्रेलिया से भारत जाने वाले लोगों के लिए भी नियमों में तब्दीली की जाएगी। आशीष जैसे सैंकड़ो भारतीय मूल के ऑस्ट्रेलियाई लोगों ने पुराने नियमों के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया की सरकार से परमिशन ली हुई थी, यह लोग जब तैय प्लान के तहत एयरपोर्ट पहुंचे तब एयरपोर्ट पर नए नियमों की जानकारी ऑस्ट्रेलिया बार्डर फोर्स के स्टाफ से मिली। इन्हें बताया गया कि अपनी ईमेल चेक करें दरअसल ऑस्ट्रेलिया के होम डिपार्टमेंट ने सभी भारतीय मूल के अपने नागरिकों और रेसिडेंट्स की ट्रैवेल एग्सम्पेंशन रदद् कर दी। आशीष के मुताबिक उनके पिता बेहद बीमार है और इकलौता बेटा होने के कारण पिता की सारी जिंमेवारी उन पर है। दो बहनें है वह अमेरिका में सेटल है। सिर्फ पिता की सेहत को देखते हुए आशीष ने अपने परिवार के साथ ऑस्ट्रेलिया छोड़ वापिस भारत में बसने का फैसला लिया था लेकिन अब ना नौकरी है और ना सिर छुपाने के लिए छत। आशीष अकेले एनआरआई नही है, भारतीय मूल के सैंकड़ो ऑस्ट्रलियन्स एयरपोर्ट पर फस गए है। मेलबर्न के रहने वाले विक्रम बताते है कि कोरोना से बीमार उनकी मां वेंटिलेटर पर है, ऑस्ट्रेलिया की सरकार से भारत जाने की परमिशन ली थी लेकिन उन्हें बिना बताए यह परमिशन रदद् कर दी गई। दरअसल ऑस्ट्रेलिया की कुल जनसंखया की 25 फीसदी आबादी ऐसी है जिनका परिवार का कम से कम एक सदस्य दूसरे देश में रह रहा है। इनमे ज्यादातर बुजुर्ग माता पिता शामिल है, ऐसे में पिछले साल जब कोरोना को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने ट्रेवल बैन लगाया तो इस बात का खयाल रखा कि बीमारी जैसी आपातकालीन परिस्थियों में नागरिकों और रेसिडेंट्स को कुछ शर्तों के साथ विदेश जाने दिया जाए लेकिन यह सुविधा अब भारतीय मूल के नागरिकों और रेसिडेंट्स से वापिस ले ली गई है। ऑस्ट्रेलिया में इस वक्त भरतीय मूल के 6 लाख 60,000 के नागरिक और परमानेंट रेसिडेंट्स हैं। नई शर्तों के मुताबिक भारत जाने की अनुमति सिर्फ उन्हीं लोगों को दी जाएगी जो भारत में कोरोना से लडऩे के लिए भारत की सहायता करने जा रहे है या ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रहित के लिए भारत जा रहे है या कोई भी व्यक्ति जिसे ऑस्ट्रेलिया में मेडिकल इलाज नही मिल पा रहा और वह भारत सिर्फ अपना इलाज करवाने जा रहा है।
भारतीय कोरोना का ऑस्ट्रेलिया में झटका- सरकार ने एनआरआईज के भारत जाने पर लगाई रोक
द एडिटर ब्युरो, मेलबर्न -भारतीय कोरोना की गाज ऑस्ट्रेलिया में रह रहे आशीष कुमार और उनके परिवार पर गिरी है। आशीष, उनकी पत्नी और दो बेटियों को मेलबर्न इंटरनेशनल एयरपोर्ट से वापिस घर भेज दिया गया। यह परिवार भारत में अपने हैदराबाद स्तिथ घर जाने के लिए निकला था, पिता की बीमारी की वजह से आशीष हमेशा के लिए ऑस्ट्रेलिया छोड़ भारत आने के लिए मेलबर्न एयरपोर्ट शुक्रवार को पहुंचे थे, रात नौ बजे की फलाइट थी। आशीष ने अपना घर, गाड़ी, सामान सब बेच दिया है, यहां तक मैनेजर की नौकरी तक छोड़ दी थी लेकिन जैसे ही चेक इन करने लगे तब एयरलाइन स्टाफ ने आशीष को बता दिया कि उनके पास उनकी और उनके परिवार के बारे कोई जानकारी नही है। लिहाजा वह फलाइट नही ले सकते, आशीष ने लगभग ढाई लाख रुपये में टिकेट ली थी लेकिन शुक्रवार को ही लागू हुए सरकारी नियम ने आशीष और उनके परिवार को कहीं का नही छोड़ा। दरअसल पिछले साल मार्च से ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने अपने नागरिकों और परमंनेट रेसिडेंट्स के अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं पर पाबंदी लगा दी थी, मकसद था विदेश से आने वाले कोरोना वायरस को रोकना, इस बीच कुछ खास परिस्थितियों में विदेश जाने के लिए कुछ नियम बनाए गए, अब तक ऑस्ट्रेलियाई नागरिक या परमांनेट रेसीडेंट फैमिली इमरजेंसी में ही ऑस्ट्रेलिया छोड़ विदेश जा सकते थे, इसके लिए एप्लीकेशन देनी पड़ती थी इसके बाद होम डिपार्टमेंट अनुमति प्रदान करता था। लेकिन भारत में अचानक कोरोना के मामले बढ़ते ही ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने यह नियम बदल डाले, प्रधानमंत्री स्कोट मोरिसन ने वीरवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह ऐलान किया कि भारत से आने वाली सीमित फलाइट्स को 30 प्रतिशत तक घटाया जाएगा, साथ ही महज इतना कहा कि ऑस्ट्रेलिया से भारत जाने वाले लोगों के लिए भी नियमों में तब्दीली की जाएगी। आशीष जैसे सैंकड़ो भारतीय मूल के ऑस्ट्रेलियाई लोगों ने पुराने नियमों के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया की सरकार से परमिशन ली हुई थी, यह लोग जब तैय प्लान के तहत एयरपोर्ट पहुंचे तब एयरपोर्ट पर नए नियमों की जानकारी ऑस्ट्रेलिया बार्डर फोर्स के स्टाफ से मिली। इन्हें बताया गया कि अपनी ईमेल चेक करें दरअसल ऑस्ट्रेलिया के होम डिपार्टमेंट ने सभी भारतीय मूल के अपने नागरिकों और रेसिडेंट्स की ट्रैवेल एग्सम्पेंशन रदद् कर दी। आशीष के मुताबिक उनके पिता बेहद बीमार है और इकलौता बेटा होने के कारण पिता की सारी जिंमेवारी उन पर है। दो बहनें है वह अमेरिका में सेटल है। सिर्फ पिता की सेहत को देखते हुए आशीष ने अपने परिवार के साथ ऑस्ट्रेलिया छोड़ वापिस भारत में बसने का फैसला लिया था लेकिन अब ना नौकरी है और ना सिर छुपाने के लिए छत। आशीष अकेले एनआरआई नही है, भारतीय मूल के सैंकड़ो ऑस्ट्रलियन्स एयरपोर्ट पर फस गए है। मेलबर्न के रहने वाले विक्रम बताते है कि कोरोना से बीमार उनकी मां वेंटिलेटर पर है, ऑस्ट्रेलिया की सरकार से भारत जाने की परमिशन ली थी लेकिन उन्हें बिना बताए यह परमिशन रदद् कर दी गई। दरअसल ऑस्ट्रेलिया की कुल जनसंखया की 25 फीसदी आबादी ऐसी है जिनका परिवार का कम से कम एक सदस्य दूसरे देश में रह रहा है। इनमे ज्यादातर बुजुर्ग माता पिता शामिल है, ऐसे में पिछले साल जब कोरोना को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने ट्रेवल बैन लगाया तो इस बात का खयाल रखा कि बीमारी जैसी आपातकालीन परिस्थियों में नागरिकों और रेसिडेंट्स को कुछ शर्तों के साथ विदेश जाने दिया जाए लेकिन यह सुविधा अब भारतीय मूल के नागरिकों और रेसिडेंट्स से वापिस ले ली गई है। ऑस्ट्रेलिया में इस वक्त भरतीय मूल के 6 लाख 60,000 के नागरिक और परमानेंट रेसिडेंट्स हैं। नई शर्तों के मुताबिक भारत जाने की अनुमति सिर्फ उन्हीं लोगों को दी जाएगी जो भारत में कोरोना से लडऩे के लिए भारत की सहायता करने जा रहे है या ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रहित के लिए भारत जा रहे है या कोई भी व्यक्ति जिसे ऑस्ट्रेलिया में मेडिकल इलाज नही मिल पा रहा और वह भारत सिर्फ अपना इलाज करवाने जा रहा है।