परमिंदर सिंह बरयाणा
दा एडिटर न्यूज. चंडीगढ़ —— कुछ दिन पहले नेटफ्फलेक्स पर रिलीज हुई दिलजीत दोसांझ की फिल्म अमर सिंह चमकीला के बाद अमरजोत और चमकीला एक बार फिर सुर्खियों में हैं और इस बात की भी चर्चा हो रही है कि आखिरकार इस विवादित गायक जोड़ी को किसने मारा, पिछले कुछ दिनों से दा एडिटर न्यूज द्वारा गायक जोड़ी की हत्या की जांच की गई और यह बात सामने आई कि अमर सिंह चमकीला और अमरजोत चमकीला की हत्या ना तो फिरौती के लिए की गई, ना ही किसी गायक ने करवाई और ना ही किसी जातिवाद के कारण उनकी हत्या की गई, बल्कि उनकी हत्या के पीछे सीधे तौर पर खालिस्तान कमांडो फोर्स और आल इंडिया सिख स्टूडेंट फेडरेशन का हाथ था और चमकीला हत्याकांड के बाद खालिस्तान कमांडो फोर्स के जनरल लाभ सिंह ने इसकी जिंमेवारी ली थी।
इस हत्याकांड में दिलचस्प बात ये है कि अगर अमर सिंह चमकीला को मारने गए लोगों ने उन्हें उसी दिन ढूंढ लिया होता तो उनकी लुधियाना स्थित उनके दफतर में ही हत्या हो चुकी होती और ये बात सामने भी आ गई है कि केवल अमर सिंह चमकीले को मारने का फैसला हुआ था जबकि अमरजोत की हत्या तब की हुई जब वह जमीन पर गिरे अमर सिंह चमकीले के ऊपर लेट गई थी और वह भी गोली की चपेट में आ गई, हालांकि फिल्म में कई तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। एकत्र किए गए विवरण के अनुसार, अमर सिंह चमकीला और अमरजोत को खालिस्तान कमांडो फोर्स के आतंकवादियों गुरदीप सिंह हेरा, गुरनेक सिंह नेका और सुखदेव सिंह सोढ़ी ने मारा था और जब उन पर गोलियां चलाई जा रही थे तो तब गांव के पास दो और आतंकवादी गुरदेव सिंह रुडक़ा और परमजीत सिंह वीर मौजूद थे जिनके पास असालट थी क्योंकि अगर गुरदीप दीपा हेरां वाला चमकीले को मारने में नाकाम रहता तो ये लोग चमकीले को मार देते।
हास्टल के कमरा नंबर 62 में चमकीले को मारने का फैसला किया गया -लवशिंदर सिंह (पूर्व उग्रवादी)
एडिटर न्यूज ने जब इंग्लैंड में रहने वाले गुरदीप सिंह दीपा हेरा के दोस्त लवशिंदर सिंह से संपर्क किया तो उन्होंने चमकीला मर्डर केस से जुड़े कई सनसनीखेज खुलासे किए, उन्होंने कहा कि आल इंडिया सिख स्टूडेंट फेडरेशन के अध्यक्ष गुरजीत सिंह झोक हरिहर ने 11 सूत्री समाज सुधार कार्यक्रम शुरू किया था, जिसमें दहेज, बारात के साथ-साथ लच्चर गायन पर भी अंकुश लगाने के लिए कार्यक्रम तैयार किया गया था और इसी कड़ी के तहत चमकीले को कई बार चेतावनी भी दी गई थी, लेकिन कैनाडा दौरे के दौरान चमकीले ने गुरजीत सिंह पर ही पैसे मांगने का आरोप लगाया था, उन्होंने कहा कि पहली मीटिंग लुधियाना के दुगरी शमशान घाट के पास एक घर में हुई, जिसमें वह खुद और सतपाल सिंह ढिल्लो, गुरनेक सिंह नेका, गुरदीप सिंह दीपा हेरां, शेर सिंह पंडोरी, गुरजीत सिंह काका शामिल हुए, इस मुलाकात के बाद वह और गुरदीप सिंह दीपा हेरां लुधियाना में चमकीले के कार्यालय गए, जहां वे उनके क्लर्क से मिले और उनसे चमकीले के कार्यक्रमों के बारे में पूछा, कलर्के ने बताया कि चमकीले की छह महीने की पूरी बुकिंग हो चुकी है और उसके बाद उन्हें कैनाडा जाना है और फिर वह वहां से लौट आए, इसी बीच फेडरेशन के अध्यक्ष गुरजीत सिंह झोक हरिहर को जानकारी मिली कि अमर सिंह चमकीले ने उन पर कैनाडा में पैसे मांगने का आरोप लगाया गया है, बता दे कि जिस समय गुरजीत सिंह फेडरेशन के अध्यक्ष बने थे तब उस समय वे ढाई सौ किले जमीन के मालिक थे, यही बात चमकीले की मृत्यु का कारण बनी और फिर एक बैठक आयोजित की गर्ई उन्होंने यह भी कहा कि गुरु नानक इंजीनियरिंग कालेज के हास्टल के कमरा नंबर-62 में खालिस्तान कमांडो फोर्स और फेडरेशन की लगातार बैठकें होती थीं और इस बैठक में 19 सिख आतंकवादी शामिल हुए थे इसमें सतपाल सिंह ढिल्लो, गुरनेक सिंह नेका, शेर सिंह पंडोरी, गुरजीत सिंह काका, गुरुमीत सिंह मीता और सरबजीत सिंह शामिल हुए थे और तब तैय हुआ कि अमर सिंह चमकीला जहां भी मिलेगा, उसे मार दिया जाएगा।
दीपा हेरा ने कार्यक्रम का संचालन कर रहे लोगों को समझाया
लवशिंदर सिंह ने कहा कि गुरदीप सिंह दीपा हेरां को सूचना मिली थी कि अमर सिंह चमकीले का कार्यक्रम फिल्लौर के पास मसनपुर गांव में होने वाला है, इसके बाद गुरदीप सिंह दीपा हेरां, गुरनेक सिंह नेका और सुखदेव सिंह तीनों मसनपुर पहुंचे और सबसे पहले दीपा हेरा वाला उस परिवार से मिला जिनके घर में चमकीला का कार्यक्रम हो रहा था और परिवार से कहा कि पहले आपने श्री अखंड पाठ साहिब करवाया है और अब आप चमकीला ला रहे हैं और कहा कि इस क्षेत्र में आतंकवादी घूम रहे हैं, जिस पर परिवार सदस्यों ने उत्तर दिया कि कुछ भी नहीं है, चिंता मत करो, अमर सिंह चमकीला और अमरजोत पिछले चुबारे पर आए हुए हैं और आप भी उनका कार्यक्रम देखना, यह कहकर दीपा अपने दोस्तों के पास चला गया और अमर तक चमकीला का इंतजार करने लगा, जब चमकीला की कार वहां रुकी और अमरजोत ने सबसे पहले कार से बाहर निकलकर अपना मेकअप चेक करने के लिए अपने पर्स से एक छोटा सा शीशा निकाला, इसके बाद गुरदीप सिंह दीपा हेरा ने चमकीला पर फायर खोल दिया जिसके बाद चमकीला नीचे गिर गया और अमरजोत उसे बचाने के लिए उस पर लेट गई और खुद भी गोली का शिकार हो गई हालांकि फिल्म में सबसे पहले अमरजोत के सिर में गोली मारी दिखाई गई है जो गलत है। जब गोलियां चलीं तो बड़ी संखया में आए लोगों में अफरा-तफरी मच गई और गुरनेक सिंह नेका मंच पर चढ़ गए और माइक पकडक़र भाग रहे लोगों से कहा कि एक तरफ पंजाब में पुलिस सिख युवाओं का खून बहा रही है और दूसरी तरफ आप ऐसे लच्चर गाने सुन रहे हैं लेकिन इस दौरान लोगों का हंगामा जारी रहा, इस वारदात के बाद ये पांच व्यक्ति पास के गांव ढेसियां में चले गए।
पंथक कमेटी के कमजोर होने के बाद बेप्रवाह हो गया था चमकीला
26 जनवरी 1986 को आयोजित सरबत खालसा में पांच सदस्यीय पंथक कमेटी का चुनाव किया गया, जिसने श्री दरबार साहिब में कई बैठकें कीं, जैसा कि फिल्म में दिखाया गया है कि चमकीले के साथी स्वर्ण सिविया उन्हें पंथक कमेटी के पास ले जाते हैं, बताया जाता है कि चमकीले ने वहां 5200 रुपए की देग भी करवाई थी, बाद में इस पंथक कमेटी के पांच सदस्यों में से दो पहले ही पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे और एक सदस्य सब कुछ छोडक़र अमेरिका चला गया था और बाद में केवल गुरबचन सिंह मानोचाहल और बस्सन सिंह जफरवाल ही रहि गए थे और इस बात की जानकारी चमकीला को भी थी और इस वजह से चमकीला निडर हो गया और वही गाने गाने लगा जिसे गाने से उन्हें रोका गया था।
चमकीले के मामले में पुलिस ने गंभीरता से जांच नहीं की
दिवंगत पंजाबी गायक अमर सिंह चमकीला और उनकी पत्नी अमरजोत कौर के जीवन पर आधारित जो फिलम रिलीज हुई है उसकी रिलीज के बाद एक बार फिर से पंजाब के आतंकवाद की याद ताजा की गई है और इस फिल्म में निर्माता ने उनकी मौत को पंजाबी कलाकारों की आपसी दुश्मनी के साथ जोडक़र दिखाया गया है, लेकिन फिल्म में यह खुलासा नहीं किया गया है कि आखिरकार दोनों की हत्या किसने की, इस मामले की जांच एडिटर न्यूज ने की, जिसमें उस समय के पुलिस अधिकारियों से बात की गई। पुलिस ने इस मामले में कोई बड़ी जांच नहीं की क्योंकि एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक उस वक्त पुलिस के सामने दो थ्योरी काम कर रही थीं पहली थ्योरी में चमकीले की मौत का कारण पंजाबी गायकों की आपसी दुशमनी थी और दूसरी थ्योरी में सिख खालिस्तानी उग्रवादियों को जिंमेदार ठहराया जा सकता था, लेकिन पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी, ज्यादातर एफआईआर अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज होती रही थीं और चमकीले के मामले में नूरमहल पुलिस स्टेशन में 65 नंबर एफआईआर में तीन अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
पंजाबी कलाकार अपने गाने दिखाते रहे
मई 1987 में जब आल इंडिया सिख स्टूडेंट फेडरेशन का संमेलन बीबी काहन कौर के गुरुद्वारा मोगा में बुलाया गया तो एक बड़ी सभा हुई और इस सभा में फिजूलखर्ची, दहेज समेत 11 सूत्रीय सामाजिक सुधार आंदोलन की घोषणा की गई। बारातों की संखया कम करने के साथ-साथ लच्चर गायन पर भी प्रतिबंध लगाया गया और उस संमेलन के दौरान कई प्रसिद्ध पंजाबी गायक भी मौजूद थे, जिनमें कुलदीप माणक, मोहंमद सादीक, सुरिंदर शिंदा आदि पहुंचे थे, लेकिन चमकीला इस संमेलन में नहीं पहुंचे, उस समय फेडरेशन के अध्यक्ष गुरजीत सिंह ने गायकों को कहा कि हमें आपके गाने नहीं चैक करने है, बस आप वही गाने चुने जो आप अपनी मां और बहन के साथ बैठकर सुन सके। अगले दिन अखबारों में खबर छपी कि सिंहों का सेंसर लागू हो गया, हालाँकि चमकीला ने इस पर ध्यान दिए बिना विवादास्पद गीत गाना जारी रखा।
सिखों की गलत कहानी पेश करने की कोशिश की जा रही है-प्रो-सुखजीत सिंह
सिख विद्वान डा. सुखजीत सिंह उदोके ने दलजीत दोसांझ की फिल्म अमर सिंह चमकीला पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इस फिल्म में सिखों के उग्रवाद आंदोलन के बारे में गलत कहानी पेश करने की कोशिश की गई है, उन्होंने कहा कि इस मामले को जातिवाद से जोडऩा भी गलत है, चमकीला की घटना का दलित या जातिवाद से कोई लेना-देना नहीं था, चमकीला ने लच्चर गायन बंद नहीं किया जिस कारण उसे अपनी जान गवानी पड़ी। डा. उदोके ने कहा कि आज भी आप अपने परिवार में बैठकर चमकीले के गाने नहीं सुन सकते।
गुरदीप सिंह दीपा हेरा कौन थे?
गुरदीप सिंह दीपा हेरा पंजाब में आतंकवाद के दौर का एक बड़ा नाम और चेहरा था, जो जालंधर के गांव हेरा के रहने वाले थे और 1987 से 1992-93 तक सक्रिय रहे, हालांकि अमर सिंह चमकीला हत्याकांड में गुरदीप सिंह दीपा हेरा और ना ही किसी अन्य खालिस्तानी का नाम पुलिस रिकार्ड में है, ऐसा इस लिए किया गया क्योंकि एक पुलिस अधिकारी की मानें तो उस वक्त पुलिस इस घटना को खालिस्तानी आतंकवादियों से नहीं जोडऩा चाहती थी क्योंकि इस घटना से खालिस्तानियों का मनोबल बढ़ता, इस लिए पुलिस ने मामले को कलाकारों की आपसी खहिबाजी तक ही सीमित रखा, यहां यह बताना जरूरी है कि दिलजीत दोसांझ की फिल्म अमर सिंह चमकीला में भी कलाकारों के आपसी व्यवहार की कहानी दिखाने की असफल कोशिश की गई है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक दीपा हेरा पर 175 से अधिक हत्याओं का आरोप था, जिनमें मुखय रूप से विधायक दर्शन सिंह केपी, महेंद्र सिंह केपी के पिता, जो हाल ही में अकाली दल में शामिल हुए है, सरवन सिंह चीमा के अलावा कई लोगों की हत्याएं शामिल हैं, वह जालंधर, कपूरथला, नवांशहर और होशियारपुर के खालिस्तान कमांडो फोर्स का एरिया कमांडर था और कई वार चल रही मुठभेड़ों से वह निकल गया था, बाद में पता चला कि उसे गढ़ा के किसी व्यक्ति की मुखवरी पर पुलिस ने मुठभेड़ में मारा दिया था।